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Friday 28 July 2017

!!! सिद्धांत !!!



फिर शिथिल श्रांत आक्रांत हुआ,
सिद्धांत स्वयं उद्भ्रांत हुआ,
जितना ही जिसने रौंदा वो,
उतना ही बड़ा विक्रांत हुआ।

फिर कुटिलकुंज का अंश हुआ,
फिर भ्रंश हुआ अपभ्रंश हुआ,
वो युग में उतना ही शोभित,
जितना इस प्रति नृशंस हुआ।

वो पंड प्रवंचक पंच हुआ,
जो जनपथ का विषदंत हुआ,
जितना ही जिसने रँग बदला,
उतना ही वो बलवंत हुआ।

जो निज कथनों का नहीं हुआ,
जो सत्यकणों का नहीं हुआ,
वो नहीं किसी का ध्यान रहे,
जो निज वचनों का नहीं हुआ।

-©अरुण तिवारी