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Friday 24 February 2017

!!! शिव स्तुति !!!


भुजंग माल कंठ में मयंक  भाल पर सजा,
उमंग नृत्य भष्म मध्य मृत्यु राग को बजा,
जिस गरल से भीर कंप देव धीर खो गए,
मुग्ध पी वो कालकूट  नीलकंठ  हो गए।।

धतूर  भांग  बेलपत्र  गंगधार  शीश  पर,
त्रिनेत्र व त्रिपुंड शोभता नगेश अधीश पर,
देव दैत्य  अम्बु  लालसी के त्राण हो गए,
व रुद्ररुप नीलकंठ  काल  प्राण धो गए।।

दंभ काम मोह भष्म कर  चुकी  हो  तेज से,
व उठी जो  द्धंद्ध  बीच अंधड़ों की  सेज  से,
भृकुटि चाप देख  रक्त वाहिनी भी जल उठी,
थाप तांडवी वो  सुन  वसुंधरा  दहल उठी।।

दुर्धर्ष  वीरभद्र  व  गिरीश  व्योमकेश  हे,
खंड काल  मुंड कर के रक्त काल के गहे,
उग्र क्रुद्ध हो  विरुद्ध जो खड़ा हुआ है जब,
भष्म हो गया त्रिलोचनी धधक उठा है तब।

हिमाद्रि के शिरोमणि हो युद्ध हो प्रबुद्ध हो,
क्रुद्ध हो कि पाप मुक्त हो धरा ये शुद्ध हो,
क्रुद्ध हो कि ना किसी से गंगधार रुद्ध हो,
ना किसी से कृत्य जम्बु द्वीप के विरुद्ध हो।

काल झंझवात में भी विश्व विघ्न  जी सकूँ,
व ब्यालवृंद तुल्य ये  तमिस्र  पूर्ण पी सकूँ,
युद्ध  में  दहक  उठूँ  दो  नेत्र अग्नि से भरी,
शक्ति दो की कृत्य सत्य शब्द धार हो खरी।

नमो नमो नमो नमो नमो  नमो  नमो  नम:,
शिवत्व को नमो नमो महेश को नमो नम:।।

                                       
-©अरुण तिवारी